अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रोटोकॉल का दूसरा आसन
योग आचार्य डॉ. धर्मवीर यादव
योग प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ
वृक्षासन परिचय
Tree Pose
वृक्ष का अर्थ है पेड़ (Tree)और आसन का अर्थ है शारीरिक स्थिति (Pose )। इस आसन की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक वृक्ष की तरह दिखाई देती है। इसीलिए इस आसन को वृक्षासन कहा जाता है।
अभ्यास विधि
- दोनों पैरों के बीच में दो से तीन इंच का अंतर रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
- अब श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने दाएं पैर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके पंजे को बाएं पैर की अंदरूनी जांघ पर इस प्रकार रखें कि एड़ी मूलाधार क्षेत्र को स्पर्श करे।
- इसके बाद श्वास भरते हुए धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए आपस में जोड़ लें जैसा चरित्र में दिखाया गया है।
- इस स्थिति में 15 से 20 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें और श्वास प्रश्वास सामान्य रखें।
- श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे ले आएं और दायां पर भी पूर्व अवस्था में ले आएं।
- अब शरीर को शिथिल करें और पुनः दूसरे पैर अर्थात बाएं पैर से इस अभ्यास को दोहराएं।
किसे नहीं करना चाहिए
जिनके घुटने में दर्द, अर्थराइटिस, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, माइग्रेन, वर्टिगो एवं शरीर में अधिक कंपन है, उनको यह आसन नहीं करना चाहिए।
ध्यान रखें
- शुरुआत में यह अभ्यास दीवार, व्यक्ति आदि का सहारा लेकर भी कर सकते हैं और दोनों हाथों को छाती के सामने प्रार्थना की स्थित में जोड़कर भी कर सकते हैं।
- अभ्यास की पूर्ण स्थिति में दृष्टि सामने किसी निश्चित बिंदु पर टिकाएं।
लाभ
- यह आसन बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले कंपन को दूर करता है।
- इस आसन से शरीर एवं मन के मध्य संतुलन स्थापित होता है।
- इस आसन के अभ्यास से घुटनों का मिलना (Knock Knees) ठीक हो जाता है।
- इस आसन से तांत्रिक से संबंधित स्नायुओं में अच्छा समन्वय होता है।
- इस आसन के अभ्यास से मन एकाग्र होता है।
- जागरूकता एवं सहनशीलता बढ़ती है।
- पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती है।
विशेष
- वृक्षासन का अभ्यास किसी अनुभवी योग्य योग प्रशिक्षक के निर्देश अनुसार ही करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं
वृक्षासन एक पारंपरिक तौर पर खड़े होकर किये जाने वाला आसन है, जो शरीर में शक्ति और संतुलन स्थापित करता है। यह अभ्यास शरीर और मन को केंद्रित, स्थिर और समन्वय स्थापित करता है।