अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर करवाए जाने वाले योग प्रोटोकॉल का दूसरा प्राणायाम शीतली प्राणायाम
योग आचार्य डॉ. धर्मवीर
योग प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ
शीतली प्राणायाम
योग प्रोटोकॉल का दूसरा प्राणायाम शीतली है। संस्कृत में शीतली का अर्थ ठंडा होता है । इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर और मन को शीतलता प्राप्त होती है। इसलिए इसे शीतली प्राणायाम अर्थात कूलिंग ब्रीद कहा जाता है।
अभ्यास विधि
- सर्वप्रथम स्वेच्छा से किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाए।
- ज्ञान मुद्रा में दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
- जीभ को बाहर निकाल कर होठों की सहायता से नाली नुमा अर्थात कोए की चोंच की तरह बना लें।
- इस नलीनुमा जीभ से धीरे-धीरे वायु को अंदर खींचे
- अब जीभ को मुख के अंदर ले जाएं और मुख बंद कर लें।
- इसके बाद दोनों नासिका रंध्रों से धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़ दें।
- यह शीतली प्राणायाम का एक चक्कर पूर्ण हुआ। इस अभ्यास को तीन से पांच बार तक दोहराएं।
किसे नहीं करना चाहिए
हाइपरटेंशन, कफ, खांसी टॉन्सिलाइटिस, जुकाम, दमा एवं सर्दियों में इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
क्या आप जानते हैं
- इस प्राणायाम में श्वास मुख से लिया जाता है और नासिक के द्वारा छोड़ा जाता है। इसमें कुंभक और जालंधर बंध का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- इस प्राणायाम में श्वास दोनों नासिकाओं की बजाय दाईं नासिका को बंद करके बाय नासिक से छोड़ सकते हैं।
ध्यान रखें - श्वास को धीरे धीरे ही नासिकाओं से ग्रहण करना है।
- अधिक बार तक इस प्राणायाम को न दोहराएं।
- योग विशेषज्ञ के निर्देशानुसार ही इस प्राणायाम का अभ्यास करें।
लाभ
- शरीर और मां को शीतलता प्रदान करता है।
- उच्च रक्तचाप, अम्लता और अल्सर में बहुत प्रभावकारी है।
- भूख और प्यास पर नियंत्रण स्थापित होता है।
- पित्त से उत्पन्न विकारों को दूर करने में सहायक है।
- रक्त शुद्ध होता है तथा अपच और तिल्ली रोग से छुटकारा मिल जाता है।
- त्वचा और आंखों के लिए बहुत लाभकारी है।
लेखक परिचय
योग आचार्य डॉ.धर्मवीर यादव पिछले 15 वर्षों से योग प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। डॉ. धर्मवीर विश्व प्रसिद्ध योग गुरु डॉ सोमवीर आर्य के साथ मिलकर 10 से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। योग ए वे ऑफ लाइफ हिंदी और इंग्लिश मीडियम इनकी प्रसिद्ध रचना है। इसी रचना के संदर्भ से इस प्राणायाम पर प्रकाश डाला गया है।