21 जून को आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रति वर्ष इस कॉमन योग प्रोटोकॉल का करवाया जाता है अभ्यास।

डॉ. धर्मवीर यादव
योग विशेषज्ञ, इंदिरा गांधी विश्विद्यालय रेवाड़ी हरियाणा
मोबाइल न.: 9466431860
| ईमेल: dharambiryadav.yogi@gmail.com

योग जीवन जीने की कला और विज्ञान है। योग भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अभिन्न अंग हैं। योग शरीर मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।

योग किसी जाति ,धर्म और मजहब के लिए नहीं है बल्कि धरती के सभी मानवों के लिए समान रूप से लाभकारी है। योग से विश्व शांति और सौहार्द की भावना विकसित होती है जिससे मानव और प्रकृति के बीच अच्छा तालमेल स्थापित होता है।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार और योगगुरूओं की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 177 देशों के समर्थन के साथ 21 जून को इंटरनैशनल योग डे मनाने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद 21 जून 2015 से पूरी दुनिया में प्रति वर्ष विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है।

सामान्य योग अभ्यासक्रम (प्रोटोकॉल)
पूरी दुनिया में योग का ज्ञान सही और शुद्ध रूप में पहुंचे इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के द्वारा विख्यात योग विशेषज्ञों के साथ मिलकर प्रार्थना, सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम,ध्यान आदि का सामान्य योग अभ्यासक्रम अर्थात् योग प्रोटोकॉल तैयार किया गया। इस योग प्रोटोकॉल को अधिकतम एक घंटे में पूर्ण किया जा सकता है। इस अभ्यासक्रम को किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति आसानी से नियमित अभ्यास कर सकता है। लेकिन प्रारंभ में और रोग विशेष में किसी अच्छे योग शिक्षक के सान्निध्य में ही अभ्यास करना चाहिए। देखा देखी या जोर जबरदस्ती इन क्रियाओं का अभ्यास नहीं करना चाहिए। बल्कि शांत चित्त और एकाग्र होकर ही इन सभी यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए।

सामान्य योग अभ्यासक्रम प्रोटोकॉल आठ मुख्य चरणों में पूरा किया जाता है।

प्रथम चरण योग का प्रारंभ मंगलाचरण अर्थात् प्रार्थना के साथ करना चाहिए।
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।।

ऋग्वेद से ली गई प्रार्थना में सभी को मिलकर चलने, मिलकर बोलने तथा अपने पूर्वजों की तरह अपने कर्तव्य का ठीक से पालन करने की बात कही गई है।

द्वितीय चरण इस चरण में सूक्ष्म व्यायाम के तहत शिथिलीकरण के अभ्यास करवाए जाते हैं। जी खड़े होकर या बैठकर दोनों तरह से कर सकते हैं।इसमें ग्रीवा चालन के चार अभ्यास, स्कंध संचालन के अभ्यास, कटि और घुटना संचालन के अभ्यास शामिल हैं।

तृतीय चरण इस चरण में योगासनों का अभ्यास करवाया जाता है। इस चरण में 20 महत्तवपूर्ण आसनों का अभ्यास करवाया जाता है। सबसे पहले खड़े होकर किए जाने वाले पांच प्रमुख आसनों का अभ्यास करवाया जाता है। ये पांच आसन निम्न हैं
ताड़ासन
वृक्षासन
पाद हस्तासन
अर्ध चक्रासन
त्रिकोणासन
इसके बाद सात आसनों का अभ्यास बैठकर किया जाता है।
भद्रासन
वज्रासन
अर्ध उष्ट्रासन
उष्ट्रासन
शशकासन
उत्तान मंडूकासन
वक्रासन


तीन आसनों का अभ्यास पेट के बल लेटकर किया जाता है।
मकरासन
भुजंगासन
शलभासन


पांच आसनों का अभ्यास पीठ/कमर के बल लेटकर किया जाता है।
सेतुबंधासन
उत्तान पादासन
अर्ध हलासन
पवन मुक्तासन
शवासन


चतुर्थ चरण
इस चरण में शोधन क्रिया कपालभाति का अभ्यास किया जाता है।

पंचम चरण
इस चरण में तीन बहुत ही उपयोगी प्राणायामों का अभ्यास करवाया जाता है।
नाड़ी शोधन/अनुलोम विलोम
शीतली
भ्रामरी


षष्ठ चरण
इस चरण में कुछ देर सामान्य ध्यान का अभ्यास करवाया जाता है।

सप्तम चरण
योग सत्र का समापन सभी योग साधकों से संकल्प बुलवाकर किया जाता है।
मैं अपने कृतव्य निर्वाह के प्रति, कुटुंब और कार्य के प्रति तथा समाज व समूचे विश्व में शांति, स्वास्थ्य और सौहार्द के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध हूं।

अष्टम् चरण योग सत्र का समापन शांति पाठ के साथ करना चाहिए।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥


सभी सुखी रहें, सभी निरोगी रहें, सबका मंगल हो, संसार में कोई भी प्राणी दुखी न रहे।

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