अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर करवाए जाने वाले योग प्रोटोकॉल का पहला आसन ताड़ासन – June 2025
योग आचार्य डॉ. धर्मवीर यादव
योग प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ
21 जून को प्रत्येक वर्ष पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सभी जगह कॉमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास करवाया जाता है।
आज हमें इंदिरा गांधी विश्विद्यालय के योग आचार्य डॉ धर्मवीर यादव ताड़ासन के बारे में विस्तार से बताएंगे। डॉ धर्मवीर योग पर 7 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। इनकी द्वारा योग पर लिखित किताबें को आज स्कूल कॉलेज विश्विद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
योग ए वे ऑफ लाइफ इनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। जो हिंदी और इंग्लिश दोनों मीडियम में उपलब्ध है। इस पुस्तक में योग प्रोटोकॉल के साथ साथ 50 से अधिक आसनों के बारे में जानकारी दी गई है। इसी पुस्तक के आधार पर ताड़ासन का परिचय दिया गया है।
ताड़ासन परिचय
ताड़ एक वृक्ष का नाम है जिसे अंग्रेजी में पाम ट्री कहते हैं ।यह पेड़ नारियल वह खजूर की तरह सीधा और लंबा होता है ।इस आसन में शरीर की स्थिति ताड़ वृक्ष की तरह दिखाई देती है। इसलिए इस आसन को ताड़ासन कहा जाता है।
अभ्यास विधि
- सर्वप्रथम समस्थिति में खड़े हो जाए और दोनों पैरों के बीच में दो से तीन इंच का अंतर रखें।
- दोनों हाथों को बगल से उठाते हुए, दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में एक दूसरे में फंसाएं और हथेलियां को आसमान की तरफ रखते हुए दोनों भुजाओं को सिर से ऊपर उठाएं।
- दोनों भुजाओं को ऊपर उठने के साथ ही धीरे-धीरे एड़ियों को भी जमीन से ऊपर उठाएं और दोनों पैरों की उंगलियों पर संपूर्ण शरीर का संतुलन बनाएं ।जैसा चरित्र में दिखाया गया है।
- इस स्थिति में श्वास रोकते हुए 15 से 20 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।
- श्वास को छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों एड़ियों को जमीन पर टिकाएं और दोनों हाथों को नीचे ले आए अर्थात प्रारंभिक स्थिति में आ जाए।
- ताड़ासन का यह एक चक्र पूर्ण हुआ। इस प्रकार ताड़ासन को 3 से 5 बार कर सकते हैं।
ध्यान रहे
- ताड़ासन करते समय सांसों में तालबद्धता बनी रहनी चाहिए
- अपनी दृष्टि को आंखों के समानांतर सामने किसी निश्चित बिंदु पर टिकाएं रखना है।
- दोनों हाथ इंटरलॉक ना होने पर सामान्य हाथ जोड़कर भी इस अभ्यास को पूर्ण किया जा सकता है।
ताड़ासन का अभ्यास किसे नहीं करना चाहिए
- सरदर्द ,चक्कर आना ,उल्टी आना, हृदय रोग, निम्न रक्तचाप ,उच्च रक्तचाप, अर्थराइटिस, घुटने का दर्द एड़ी का दर्द आदि अन्य जटिल समस्याओं में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था एवं महावारी के समय भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- अपनी उम्र, कोई समस्या, रोग की अवस्था, क्षमता आदि को ध्यान में रखते हुए ही इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
- प्रारंभ में अनुभवी योग प्रशिक्षक के निर्देशानुसार ही अभ्यास करना चाहिए
क्या आप जानते हैं
- नए अभ्यासी दीवार या अन्य किसी व्यक्ति आदि का सहारा लेकर भी ताड़ासन का अभ्यास कर सकते हैं।
- नए अभ्यासी प्रारंभ में सरल ताड़ासन का अभ्यास भी कर सकते हैं।
- शुरुआत में या बीमारी के समय या वृद्धा अवस्था में इस आसन का अभ्यास कमर के बल लेट कर भी कर सकते हैं।
- शंख प्रक्षालन क्रिया में भी यह आसान सबसे पहले करवाया जाता है।
- हमारे शरीर में मौजूद पिंडलियों की काफ मसल्स को दूसरा दिल कहा जाता है। ये गैस्ट्रोकनिमियस और सोलियस मांसपेशियों से बने होते हैं। जिसकी वजह से पैरों से खून वापस दिल तक पहुंच पाता है।इस क्रिया को व्यवस्थित रखने में ताड़ासन की विशेष भूमिका होती है ।
ताड़ासन के लाभ
- इस आसन के अभ्यास से बच्चों का कद वृद्धि होता है
- शरीर में स्थिरता आती है और मन एकाग्र होता है।
- शरीर की अकड़न जकड़न दूर होती है तथा शरीर लचीला बनता है।
- घुटनों का मिलना और पैरों का चपटा होना इस आसन के नियमित अभ्यास से ठीक हो जाते हैं।
- श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- श्वास रोग ,हृदय रोग आदि इसके नियमित अभ्यास से दूर होते हैं।
- मोटापा कम होता है और शरीर सुडौल बनता है।
- सुबह पानी पीने के बाद इस आसन का अभ्यास करने से कब्ज, गैस, अपच एवं अन्य पेट संबंधित समस्याएं दूर होती है और पेट अच्छे से साफ होता है।
- पूरे दिन व्यक्ति करो ताजा महसूस करता है।