डॉ. धर्मवीर यादव
योग विशेषज्ञ, इंदिरा गांधी विश्विद्यालय रेवाड़ी हरियाणा
मोबाइल न.: 9466431860 | ईमेल: dharambiryadav.yogi@gmail.com
योग भारतीय पुरातन सनातन संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है।
प्राचीनकाल में योग किसी समय पहाड़ो गुफाओं कंदराओं जंगलों आदि तक सीमित रहा। इसके बाद योग राजघराने और राजा महाराजाओं तक पहुंचा। धीरे धीरे वही योग आज आम व्यक्ति के जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। प्राचीन मे ऋषि मुनियों का उद्देश्य योग साधना के द्वारा जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करना था। लेकिन समय के अनुसार योग के मायने बदलते चले गए। आज की अगर हम बात करें तो योग केवल स्वास्थ्य रोजगार और खेल के दायरे तक ही सीमित हो गया है। इस बदलते परिवेश में आधुनिक युग के कलाकारों ने योग को सर्कस,तमासा, ड्रामा, मनोरंजन, बिज़नेस और अलग अलग प्रकार से पैसे कमाने का जरिया बना दिया है। और इससे आगे क्या होगा इसका कोई अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं ?
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के बाद पूरी दुनिया में योग का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। इसी कड़ी में योग को राष्ट्रीय स्तर पर खेल का दर्जा भी मिल चुका है। जो युवाओं के भविष्य के लिए अच्छा है। हालांकि योग सब खेलों में है लेकिन सारे खेल योग नहीं है। आज योग की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की अनेक प्रतिस्पर्धात्मक प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही है। स्कूल,कॉलेज,यूनिवर्सिटी ,योगशालाओं एवं योग के अन्य छोटे बड़े संस्थानों में योग के योग्य और अयोग्य शिक्षकों के द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक योग अथवा कठिन आसनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। क्योंकि हर संस्थान व योग कोच का एक ही मकसद है कि उनके द्वारा प्रशिक्षित योग के खिलाड़ी ही विजेता बने, इसके लिए चाहे योग खिलाड़ियों को कितनी देर और कैसे भी अभ्यास क्यों न करवाया जाए ? योग प्रशिक्षक अपनी प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिए बच्चों को अनावश्यक तोड़ते मरोड़ते रहते है। क्योंकि प्रत्येक बच्चा योग का अच्छा खिलाड़ी नहीं बन सकता है अर्थात कठिन आसनों के लिए उनके शरीर की बनावट ही नहीं है। कुछ बच्चों में फ्लेक्सिबिलिटी नेचुरल होती है। कुछ अभ्यास से अपनी फ्लेक्सिबिलिटी अवश्य ही थोड़ा बहुत बढ़ा लेते हैं। यदि योग कोच के द्वारा बच्चे को प्रेरित करके या प्रेसर देकर शरीर को जोर जबरदस्ती से स्ट्रेच करने का प्रयास किया जाता है तो लाभ की जगह इंजरी होने की संभावना अधिक रहती है।
अक्सर योग कोच/स्किपर/ट्रेनर/इंस्ट्रक्टर/टीचर अपने खिलाड़ी या टीम को विजेता बनाने के उद्देश्य से बच्चों को जोर जबरदस्ती फ्लैक्सिबल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसका परिणाम बच्चों को किस न किसी रूप में अवश्य भुगतना पड़ता है।
कुछ योग प्रशिक्षक पूरी तरह से अनट्रेंड होते है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक आसनों/ एडवांस आसनों की कोई नॉलेज नहीं होती है, जिससे बच्चों को कोई न कोई शरीर मे इंजरी हो जाती है। दिनों दिन गलत तरीके से योग करवाने से देश दुनिया मे इंजरी की समस्या बढ़ती जा रही है, जिस पर किसी का भी ध्यान नहीं है । यह किसी एक जिले, राज्य व देश की बात नहीं है बल्कि जहाँ योग का प्रचलन बढ़ा है वहाँ गलत योग करवाने से इंजरी व शारीरिक विकृतियां भी बढ़ी है। कहा भी गया है :-
देखा दाखि करै योग छीजे काया बाढ़ रोग
आजकल कुछ बच्चे दूसरे फ्लेक्सिबल बच्चों को देखकर जल्दबाजी में कठिन आसनों को करने का अभ्यास करते है जिससे उन्हें कोई चोट लग सकती है, कोई मेजर इंजरी हो सकती या कोई अन्य शारीरिक विकृति भी हो सकती है। सभी का शरीर और फ्लेक्सिबिलिटी अलग अलग है। अतः योग खिलाड़ियों को और उनके प्रशिक्षकों को इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
गलत तरीके से योग करवाने पर बच्चों में क्या क्या समस्याएं हो रही है-
नौशीखिये योग शिक्षक आधे अधूरे ज्ञान की वजह से योगासनों को ठीक से नहीं करवा पाते है और योग की डिग्री/डिप्लोमा/सर्टिफिकेट लेकर योग में पारांगत होने का ढिंढ़ोरा पीटते रहते है। जो बच्चे कम्पटीशन के उद्देश्य से शरीर के साथ अधिक खींचा तानी करते है उनको उसी समय या कुछ दिनों बाद अनेक शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। योगासन करने से पूर्व बच्चे का शारीरिक व मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है। वार्मअप और कूलिंग डाउन दोनों की सही विधि पता होना चाहिए।
योगासन सुबह और सांय ही करने चाहिए। लेकिन प्रतिस्पर्धा की वजह से वर्तमान में किसी भी समय योगाभ्यास करवाया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है। योग प्रशिक्षक के द्वारा सही विधि से योगाभ्यास न करवाने की वजह से आज अनेक तरह की समस्याओं का सामना योगाभ्यासी को करना पड़ रहा है- मांसपेशियों में खिंचाव, जॉइंट्स प्रॉब्लम, कब्ज, कमर व गर्दन दर्द,कमजोरी, थकान, आँख व कानों की समस्या, शरीर मे गर्मी का बढ़ना, लैक्टिक एसिड का बढ़ना, शरीर की ग्रोथ न होना, त्वचा के रोग होना, स्वांस रोग होना,अनिद्रा, सरदर्द, लड़कियों को माहवारी की समस्या आदि शारीरिक-मानसिक रोग हो जाते है।
प्रतिस्पर्धात्मक कठिन योगाभ्यास करवाते समय योग कोच को किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए :-
- योग प्रशिक्षक/योग कोच को बच्चों को एडवांस अथवा कठिन आसन करवाने से पूर्व उनके स्वास्थ्य के विषय मे पूछ लेना चाहिये।
- योग कोच को कठिन आसन करवाते समय एक दूसरे बच्चे से तुलना नहीं करनी चाहिये
- एडवांस आसन करवाते समय बच्चे किसी भी प्रकार का पर दवाब नहीं बनाना चाहिए।
- बच्चे की फ्लेक्सिबिलिटी को ध्यान में रखते हुए ही उन्हें एडवांस आसन करवाने चाहिए।
- हर दिन, हर समय और हर बच्चे का शरीर कठिन आसन के लिए तैयार नहीं होता है।
- कुछ कठिन आसन लड़कियों को नहीं करवाने चाहिये, जैसे मयूरासन
- कठिन आसन करवाने से पूर्व वार्मअप करवाना बिल्कुल भी नहीं भूलना चाहिए।
- योगासन करने से पूर्व शरीर पर तेल मालिश करना अच्छा रहता है।
- किस कठिन आसन (फोरवार्डबैंडिंग बैकबैंडिंग बैलेंसिंग, स्ट्रेचिंग आदि) के बाद कौनसा आसन करवाना है,यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है।
- योग कोच को यौगिक एनाटॉमी- मसल्स, बोनस आदि का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
आसन शरीर और मन को साधने की एक सहज प्रक्रिया है। अतः कठिन आसनों के दौरान योग कोच और योगाभ्यासी को आपसी तालमेल बनाकर ही आसनों का अभ्यास करना चाहिए। इस दौरान संयम, संतुलित आहार और भरपूर निद्रा लेनी चाहिए।